ब्रज की रासलीला परंपरा के संरक्षण के लिए उपाय सुझाने के उद्देश्य से गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी, सभागार में 17 दिसंबर को 'रासलीला के संरक्षण' विषयक संगोष्ठी/ परिचर्चा का आयोजन किया गया। वृंदावन के साहित्यकार स्व. छैल बिहारी उपाध्याय 'छैल' की स्मृति में आयोजित संगोष्ठी में वृन्दावन के रासमंडलों से जुड़े अनेक रासाचार्यों ने उन व्यावहारिक कठिनाइयों से अवगत कराया जिनके कारण वृंदावन की रासलीला परंपरा का संरक्षण आज जरूरी हो गया है। स्व छैल बिहारी उपाध्याय 'छैल' की स्मृति में हुई संगोष्ठी में भागवतचार्य श्री श्रीवस्त गोस्वामी जी, भागवताचार्य प. अच्युत लाल भट्ट साहित्यकार श्री कपिल उपाध्याय, गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी के निदेशक श्री दिनेश खन्ना, उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद के ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डा उमेश चंद शर्मा, रासाचार्य दुष्यंत शर्मा, म रासाचार्य देवकीनंदन शर्मा, रासाचार्य स्वामी लेखराज, रासाचार्य दामोदर शर्मा, रासाचार्य भावेश कृष्ण, स्वामी नेमीचंद, रासाचार्य गिरिराज शरण वशिष्ठ आदि ने संगोष्ठी में वृंदावन चली आ रही पुरातन रासलीला विधा, उसके मंचन और संरक्षण पर गहन चिंतन-मनन किया। अंत में गीता शोध संस्थान के कोऑर्डिनेटर चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार आदि ने रासाचार्यों को लोयी उढ़ाकर सम्मानित किया। गीता मर्मज्ञ श्री महेश चंद्र शर्मा और उनके सानिध्य में गीता सीख रहे बच्चों को भी सम्मानित किया गया। अंत में गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी के समन्वयक चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार ने सभी रासाचार्यों का आभार व्यक्त किया।
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